Wednesday, July 24, 2019

शंकराचार्य मठ में श्रावण मास के प्रवचन

माता-पिता गुरु की आज्ञा नहीं मानना भी पाप
- शंकराचार्य मठ में चल रहे श्रावण मास के अनुष्ठान में मठ प्रभारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के प्रवचन

इंदौर। भगवान राम जैसे पितृ प्रेम, भातृ प्रेम, एक पत्नी व्रत करने वाला ही भगवान को प्राप्त कर सकता है। व्यक्ति के पूर्व जन्मों का पाप मन में बने रहने के कारण इस जन्म में व्यक्ति मनुष्य जन्म में ज्ञान प्राप्त करके, भगवान की भक्ति करके प्रारब्ध की प्राप्ति के लिए है। व्यक्ति माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार बताता है, परंतु उनकी सेवा नहीं करता। माता-पिता गुरु की आज्ञा नहीं मानना भी पाप है।
पीथमपुर बायपास रोड, नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ में चल रहे श्रावण मास के प्रवचन के तहत मठ प्रभारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बुधवार को यह बात कही। महाराजश्री ने कहा कि आज के दौर में व्यक्ति गुरु से आशीर्वाद लेने के लिए खड़ा रहता है परंतु राम की तरह गुरु की आज्ञा मानकर कार्य नहीं करता। पत्नी की आज्ञा अवश्य मानता है। रामजी गुरु से कुछ भी नहीं छुपाते थे, न ही उनकी आज्ञा के बिना कोई कार्य करते थे। इसी कारण उन्हें तपोबल और रावण को मारने की शक्ति प्राप्त हुई।

Tuesday, July 23, 2019

शंकराचार्य मठ, इंदौर में श्रावण मास के प्रवचन

रामजी जैसे सिर्फ रामजी हैं कोई और नहीं
-शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के श्रावण मास के प्रवचन

इंदौर।
संसार में रामजी जैसा महापुरुष कोई हुआ नहीं और भविष्य में होगा भी नहीं। वाल्मीकि ऋषि रामजी की कथा लिखने लगे तब उनके मन में विचार आया कि मैं रामजी की उपमा किससे करूं। उन्होंने इधर-उधर बहुत मन दौड़ाया, लेकिन उनकी सम­ा में नहीं आया। अंत में उन्होंने कहा, कि रामजी, रामजी जैसे ही हैं, जिस प्रकार समुद्र समुद्र जैसा ही है। उसकी उपमा किसी से नहीं की जा सकती। रामजी के विशाल गुणों को वर्णन कोई नहीं कर सकता। रामजी के गुण अनंत हैं। मनुष्य की बुद्धि अल्प है। भगवान शिव भी रामजी के गुणों के बारे में पार्वतीजी से कहते हैं- ‘राम अतर्क बुद्धि मन वानी, मत हमार अस सुनहु भवानी।’ जगत में जितने दिव्य गुण हैं वे सब रामजी में हैं।
यह बात पीथमपुर बायपास रोड, नैनोद स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने श्रावण मास के नित्य प्रवचन में शनिवार को कही। महाराजश्री ने कहा कि पुरुष का जीवन रामजी की तरह ही होना चाहिए। रामजी ने जगत को पुरुष धर्म सम­ााया है और सीताजी ने स्त्री धर्म। जगत को धर्म का आदर्श बताने के लिए ही सीता-रामजी प्रकट हुए हैं। स्त्री धर्म अति सर्वश्रेष्ठ है। स्त्री स्वधर्म का बराबर पालन करे तो उसे घर में ही मुक्ति मिलती है। स्त्री को घर छोड़कर बाहर भटकने की आवश्यकता नहीं। स्त्री यदि बाहर भटके तो स्वैच्छाचारिणी बनती है और उसका पतन हो जाता है। जो स्त्री घर में रहकर गृहिणी धर्म संभालती है, उसके पवित्र रहने की अनुकूलता रहती है।
स्त्री को जल्दी होती है प्रभु की प्राप्ति
डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया शास्त्र में लिखा है, कि स्त्री को प्रभु की प्राप्ति जल्दी होती है, इसलिए स्त्री का हृदय स्नेहयुक्त और आर्द्र होता है। उसमें समर्पण की भावना होती
प्रतिदिन अभिषेक और प्रवचन
इसके साथ ही मठ पर प्रतिदिन पूरे श्रावण मास में दोपहर 2 से शाम 4 बजे तक नित्य अभिषेक किया जा रहा है। प्रति सोमवार सुबह 10 से 12 बजे तक अर्चन किया जाएगा। सुबह 8 से 10 बजे तक मास परायण किया जा रहा है और रात 8 से 9 बजे तक डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के प्रवचन हो रहे हैं।
है। घर के प्रत्येक जीव में ईश्वर की भावना रखते हुए, तन-मन से सबकी सेवा करे और घर का काम करते-करते परमात्मा का स्मरण करे तो बड़े-बड़े संन्यासी को जो फल प्राप्त नहीं होता वह घर में रहकर स्त्रियों की घर में ही प्राप्त हो जाता है।

शंकराचार्य मठ, इंदौर में श्रावण मास के प्रवचन

सभी वेदों का सार है राम नाम
 -शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के श्रावण मास के प्रवचन 


इंदौर। भगवान शंकर रामायण के प्रधान आचार्य हैं। सौ करोड़ श्लोकों में शिवजी ने रामचरित का वर्णन किया है। शत कोटि प्रविष्टरम्... रामायण के सौ करोड़ श्लोक हैं, जिनका संक्षेपण कोई भी नहीं कर सकता है। राम कथा सागर के समान है। हरि अंत हरि कथा अनंता... शिवजी ने कहा है मैं श्रीराम की कथा करता हूं, सतत राम नाम जपता रहता हूं, परंतु श्रीराम कैसे हैं यह मैं भी नहीं जानता। यह शिवजी की सरलता है जो ऐसा कहते हैं, कि हम कुछ जानते नहीं। वे हमें संदेश देते हैं कि इस भावना के साथ जो जाप करता है कि हम कुछ जानते नहीं, उसे ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। ओंकार में जो शक्ति है, वही राम नाम में है। राम नाम सभी वेदों का सार है।

यह बात पीथमपुर बायपास रोड, नैनोद स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने श्रावण मास के नित्य प्रवचन में रविवार को कही। चौबीसों घंटे खुला रहता है शिव का दरबार महाराजश्री ने बताया शिवजी इतने सरल हैं कि उनका दरबार चौबीसों घंटे खुला रहता है। वहां पर आपस में शत्रुभाव रखने वाले जीव भी एक साथ बैठते हैं। गणेशजी का वाहन चूहा है, लेकिन शंकरजी के गले में नाग लिपटा रहता है। शंकरजी का वाहन नंदी है, वहीं भगवती का वाहन सिंह है, पर शंकरजी के दरबार में वे अपना बैर भूल जाते हैं। राम दरबार में जाओगे तो हनुमानजी पूछेंगे कि क्या तुम रामजी के मर्यादा का पालन करते हो, यदि नहीं करते तो तुम नहीं जा सकते। श्रीकृष्ण के दरबार में जाओगे तो गोपी बनकर जाना होगा। शंकरजी के दरबार में कैसे भी जा सकते हैं।
 शिवजी सारे श्लोक बांट दिए पर राम नाम अपने पास रखा 

डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया राक्षस और मनुष्य दोनों की रामायण का पाठ करते हैं। भगवान शंकर के दरबार में देवता, ऋषि रामायण मांगने आए, वहां राक्षस भी आए सभी ने शंकरजी से रामायण मांगी, राक्षस भी रामायण का पाठ करते हैं, लेकिन आज के मनुष्य रामायण की गरिमा को नहीं सम­ाते हैं। रामायण पाठ करने से सारा पाप भस्म हो जाता है। राम नाम की शक्ति से शिवजी हजम कर लिया था विष महाराजश्री ने बताया राक्षसों, ऋषियों सभी को राम अच्छे लगते हैं। जब तीनों की बहुत ज्यादा मांग हो गई तो शंकरजी ने सौ करोड़ श्लोकों के तीन भाग कर दिए। 33 करोड़, 33 लाख, 33 हजार 333 कुल 99 करोड़, 99 लाख, 99 हजार, 999 श्लोक वितरित हुए। उन सौ करोड़ में से एक श्लोक बाकी रहा, इस श्लोक को भी शंकरजी ने तीन भागों में बांटा, तो दो अक्षर बचे राम। शंकरजी ने कहा यह तो मैं रखूंगा और इसी राम नाम से विष तो हजम कर गए।

शंकराचार्य मठ, इंदौर

अयोध्या कांड का पाठ करेंगे तो घर अयोध्या बन जाएगा
-शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के श्रावण मास के प्रवचन

इंदौर। 22  जुलाई 2019
मन ईश्वर में लगा हो और जीव ईश्वर का स्मरण करते हुए शरीर त्याग करे तो उसे मुक्ति मिलती है। जिस घर में ­ागड़ा होता हो तो वे अयोध्या कांड का पाठ करें, ­ागड़े बंद हो जाएंगे, क्योंकि अयोध्या कांड में कोई युद्ध नहीं है। घर अयोध्या बन जाएगा और भगवान राम वहां पर निवास करेंगे। संपूर्ण जीवन श्रीराम स्मरण में हो गया हो तो अंत काल में श्रीराम याद आएंगे। भगवान का जाप सदा करते रहो, जब तक कोई पूर्ण आहूति न हो। जब तक शरीर है तब तक भगवान का भजन करते रहो।
यह बात पीथमपुर बायपास रोड, नैनोद स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ में प्रभारी ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने श्रावण मास के नित्य प्रवचन में रविवार को कही।
तीन महान ग्रंथों का एक ही आदर्श संयुक्त परिवार
डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया हमारे भारत देश में संयुक्त परिवार की प्राचीन प्रथा अब भुलाई जा रही है। अपने तीन महान ग्रंथों का आदर्श संयुक्त कुटुंब की प्रथा है। श्रीकृष्ण बलराम दो भाई थे, पर एक ही घर में थे। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चार भाई थे, पर एक ही घर में थे। पांडव पांच भाई थे पर एक ही घर में थे। भागवत, रामायण और महाभारत तीन ग्रंथों का आदर्श एक ही है, संयुक्त कुटुंब। आजकल तो ऐेसी शिक्षा मिल रही है कि शादी होते ही भाई, भाई से अलग हो जाता है। केवल पैसा कमाने की शिक्षा ने आपसी प्रेम, संयुक्त परिवार, बड़ों की मान मर्यादा सब तोड़कर रख दी है। परिणाम यह हो रहा है कि अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित कर लोग देश, समाज और कुटुंब को खंड-खंड करने की तैयारी कर रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो अखंड भारत का स्वप्न मृतप्राय हो जाएगा।
बिल्वपत्र से शिवजी का सहस्राधिक अर्चन
मठ पर श्रावण मास के तहत सुबह 10 से 11बजे तक रामचरित मानस का मास परायण पाठ। इसके पहले श्रावण सोमवार पर सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक सोडषोपचार के साथ बिल्वपत्र से शिवजी का सहस्राधिक अर्चन, दोपहर 2 से शाम 4 बजे तक रुद्राभिषेक और प्रतिदिन रात 8 बजे से डॉ. गिरीशानंदजी महाराज के मास परायण पर आधारित व्याख्यान हो रहे हैं।