Tuesday, February 19, 2013

मां नर्मदा का सहस्र दीपार्चन कर ओढ़ाई चुनरी
नर्मदा जयंती (17-2-13) पर शंकराचार्य भक्त मंडल के सदस्य मठ प्रभारी गिरीशानंदजी के सान्निध्य में महेश्वर पहुंचे और मां नर्मदा का दीपार्चन कर चुनरी ओढ़ाई गई। पीठ पंडित संजय शास्त्री और पं. राजेश शर्मा ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ राजोपचार पूजा व रुद्राभिषेक कराया।  इस दौरान सभी आद्य शंकराचार्य रचित नर्मदाष्टक का सस्वर पाठ किया। भक्त मंडल के संतोष पटेल, यौवन पटेल, राकेश बड़ोदिया, दिनेश मौर्य, बाबूलाल राठौर, जितेंद्र बिजोरिया, जीतू ठाकुर और प्रतिपालसिंह टुटेजा ने इस अनुष्ठान में विशेष रूप से हिस्सा लिया।

shankaracharya

15-2-13
शंकराचार्य, प्रशासन और नेताओं का महानाट्य
आए शंकराचार्य के लिए, साथ थे प्रशासन के

शैलेंद्र जोशी
इंदौर। भोजशाला में वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन के लिए धार जाने के लिए इंदौर पहुंचे काशी तथाकथित सुमेरू पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज को प्रशासन उलझाता रहा वहीं उनके शंकराचार्य होने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। वे धार जाने के लिए आए थे लेकिन गुरुवार को सुबह से देर रात तक धार जाने की बजाय वे महाकालेश्वर और नेताओं के घर घूमते रहे। वे इंदौर आते ही प्रशासन के अफसरों के जाल में फंसते रहे। रातभर उन्हें बिजासन टेकरी के पास नवग्रह जिनालय परिसर स्थित फार्म हाउस में प्रशासन ने पुलिस के घेरे में नजरबंद रखा। वे रात एक बजे धार के लिए रवाना होने वाले थे लेकिन सुबह करीब छह बजे तक सोते रहे।
इसके बाद जागे। पुलिस ने उन्हेंं पहले तो उनकी ही गाड़ी में बैठने से मना कर दिया था। सुबह करीब 7.15 बजे मंत्री महेंद्र हार्डिया, भाजपा नगर अध्यक्ष शंकर लालवानी और विधायक सुदर्शन गुप्ता पहुंचे। कहने को तो शंकराचार्यजी की सेवा में थे लेकिन हकीकत यह थी कि वे प्रशासन के समर्थन में खड़े दिखाई दिए। इस बीच पुलिस ने मीडिया को भी रोक दिया। जो मकान के अंदर थे वे अंदर ही रोक लिए गए और जो बाहर थे उन्हें अंदर नहीं आने दिया गया। जब नरेंद्रानंदजी फार्म हाउस से बाहर आए और धार जाने के लिए गाड़ी बुलाने लगे तो एसडीएम शरद श्रोत्रिय, सीएसपी रूपेश द्विवेदी और अन्य अधिकारियों ने उन्हें बातों में उलझाया और कहा कि महाराजजी आप धार की बात मत कीजिए और ओंकारेश्वर दर्शन कर आइए। सभी महाराजजी को मीठी-मीठी बातों से उलझाते रहे।  करीब 20 मिनट की गेट पर खड़े-खड़े हुए वे उन्हें समझाते रहे। इस बीच महाराजश्री ने थोड़ा भड़कते हुए यह भी कहा कि क्या आप इस तरह किसी मौलवी को रोक सकते हो और अंतत: महाराजश्री ने ओंकारेश्वर जाने के लिए हामी भर दी।
बार-बार पलटे महाराज
इस बीच सीएसपी द्विवेदी ने उनकी गाड़ी में क्राइम ब्रांच के ड्राइवर को बिठवा दिया। जब वाहन नवग्रह जिनालय के गेट पर पहुंचा तो वहां इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को देख महाराजश्री को नई ताकत मिली और वे वाहन से उतरकर पेड़ के नीचे बैठ कर धार जाने की जिद करने लगे। प्रशासन ने वहां से उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अपनी बनावटी रजामंदी जताई। इसके बाद वाहन की ड्राइविंग सीट पर महाराजश्री की सेवा में लगे प्रतिपाल टोंग्या बैठ गए। पीछे-पीछे मंत्री हार्डिया, लालवानी और गुप्ता दूसरे वाहन में चल रहे थे। थोड़ा आगे बढ़कर नेता लापता हो गए। प्रशासन के अफसर जरूर पीछे-पीछे थे। नावदा पंथ के पास महाराजश्री वाहन से उतरकर फिर पेड़ के नीचे बैठ गए। इसके बाद फिर महाराजश्री को प्रशासन ने छला और जलूद के रेस्ट हाउस में ले जाकर उन्हें दिनभर रोके रखा। इस बीच धार में नमाज हो गई। ताज्जुव की बात तो ये थी कि सरकार के जिन नुमाइंदों को महाराजश्री अपना समझ रहे थे वे ही बड़ी सफाई से प्रशासन के साथ मिलकर महाराज को छल रहे थे।
संघ पदाधिकारी को किया बंद, नेता रहे चुप
एक और आश्चर्य की बात यह रही कि मंत्री की मौजूदगी में जब संघ के पदाधिकारी संदीप अग्रवाल ने महाराजश्री के पक्ष में बात रखनी चाही तो उन्हें फार्म हाउस के कमरे में नजरबंद कर दिया गया।
शंकराचार्य पद पर भी उठे सवाल
कई लोगों ने शंकराचार्य के पद और उनकी गरिमा पर भी सवाल उठाए हैं। शांकर परंपरा के जानकार ने बताया कि आद्य शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। इनके लिए नियम और दिशादर्शन आद्य शंकराचार्य की पुस्तक शंकर दिग्विजय, शंकर मठ विमर्त और मठ आमनाएं अनुशासनम् में उल्लेखित हैं। इनके मुताबिक चार मठ हैं- पूर्व में जगन्नाथपुरी में गोवर्धन मठ, पश्चिम में द्वारका में शारदा मठ, दक्षिण में शृंगेरी और उत्तर में बद्रीनाथ में ज्योतिष मठ। फिलहाल इन चार मठों पर तीन शंकराचार्य पीठाधीश्वर हैं। इनके तहत दो पीठों शारदा और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदजी और शृंंगेरी के शंकराचार्य स्वामी भारतीतीर्थ हैं। जानकारों का कहना है कि बाद में बनाई किसी भी पीठ के नाम पर खुद को शंकराचार्य लिखने वाले साधु आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित व्यवस्था और परंपरा के नहीं माने जा सकते हैं। उनका खुद को शंकराचार्य लिखना छलपूर्ण है। बताया तो यह भी जाता है कि देश में 50 से ज्यादा फर्जी शंकराचार्य घूम रहे हैं।