Saturday, December 14, 2013



फूट डालो, राज करो की नीति पर चल रहे राजनीतिक दल


पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदजी महाराज से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू


शंकराचार्य उवाच

-शासन तंत्र ने अपने मतलब के लिए खड़े किए कई फर्जी संत
-नकली संत हवाई जहाज में और मेरे जैसे शंकराचार्य रेल में धक्के खाते हैं
-हमें मरने का भय नहीं, न ही हम खरीदे जा सकते हैं
-गंगा को दूषित किया, इसीलिए आया उत्तराखंड में प्रकोप

Shailendra Joshi

इंदौर। शासन तंत्र ने अपने कई दलालों को शंकराचार्य और संत के रूप में स्थापित कर दिया, लेकिन नकली संतों की पोल खुलकर ही रहती है। अपने मतलब के लिए राजनीतिक दलों के द्वारा इन फर्जी संतों का दुरुपयोग किया जाता है, लेकिन असली कभी इनके चक्कर में नहीं पड़ते। 22 वर्षों से शंकराचार्य हूं लेकिन शासन तंत्र ने मुझे जितने कष्ट दिए, कह नहीं सकता। ईमानदारी से चलने में यातनाएं बहुत हैं।
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदजी महाराज ने बुधवार (12-12-2013) को विशेष मुलाकात में यह बात कही। वे दशहरा मैदान में आयोजित यज्ञ में शामिल होने के लिए अहिल्या की नगरी में पधारे हैं। शंकराचार्यजी ने कहा शासन तंत्र द्वारा बनाए गए संत सत्ता के अनुकूल रहे तो उन्हें स्थापित कर दिया जाता है और विरोध किया तो गिराने में भी देर नहीं लगती। हम जैसे शंकराचार्य किसी राजनीतिक दल के मोहताज नहीं हैं, इसीलिए सत्ता में बैठे लोग हमसे डरते हैं और इसीलिए हमें उपेक्षा भी सहनी पड़ती है लेकिन हम अपनी परंपरा  और सिद्धांत नहीं छोड़ सकते। हमें न तो मरने का भय है न ही हम खरीदे जा सकते हैं।
दलाई लामा क्यों?
शंकराचार्यजी ने कहा भारत के राष्ट्रीय आयोजनों में धर्म प्रमुख के रूप में दलाई लामा को बुलाना या फिर पोप की महत्व देना अजीब लगता है। कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा कोई भी दल हो, ये सभी एक  जैसे हैं। भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म सर्वोच्च है और आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों मठों के शंकराचार्य इस देश में होते हुए भी बुलाया जाता है लामा को। यह नेताओं की राजनीतिक स्वार्थपरक सोच का ही परिणाम है।
छलक पड़े थे विश्व बैंक अधिकारी के आंसू
महाराजश्री ने बताया 5 मई 1999 को विश्व बैंक की एक महिला अधिकारी मुझसे दिल्ली में मिली थीं। उन्होंने विश्व की आर्थिक समस्याओं पर मार्गदर्शन मांगा। इस पर मैंने उन्हें सिर्फ सात-आठ मिनट में जो सुझाव दिए, जिन्हें सुनने के बाद उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उस महिला अधिकारी से मैंने पूछा कि आप रो क्यों रही हैं। तो उन्होंने कहा मुझे भारत सरकार की समझ पर रोना आता है। यहां से संयुक्त राष्ट्र को एक बड़ा समाधान मिल रहा है लेकिन क्या भारत सरकार ऐसा नहीं कर सकती?
राजनीतिक दल अंगे्रजों की राह पर 
हमारे देश के सभी राजनीतिक दल अंगे्रजों की फूट डालो राज करो सहित इसी तरह की कई कूटनीतियों पर चल कर शासन करना चाहते हैं।
सरकार ने रुकवाया था मेरा बयान
अयोध्या का मामला जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ की अदालत को सौंपा था, तब मैंने पटियाला में रात 11 बजे बयान जारी किया था लेकिन कुछ लोगों ने मेरा बयान तत्काल सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचा दिया। इसके बाद शासन ने कलेक्टर को मेरा बयान रुकवाने के निर्देश दिए और मेरा बयान कहीं पढ़ने या देखने को नहीं मिला।
यह सही संतों का संक्रमण काल
यह संतों का संक्रमण काल चल रहा है। हिंदू संस्थाओं पर झूठे केस लगाए जा रहे हैं और वास्तविक संतों को कई तरह के कांडों में फंसाया जा रहा है।
शंकराचार्यों में कोई बैर नहीं
चारों मठों के शंकराचार्य एक मंच पर दिखाई नहीं देने के सवाल पर स्वामी निश्चलानंदजी महाराज ने कहा लगातार भ्रमण के कारण हम लोग कम भले ही मिल पाते हैं, लेकिन संचार तंत्र के माध्यम से हम विचारों का आदान-प्रदान तो करते ही हैं। सभी शंकराचार्यों के सिद्धांत तो समान ही हैं। अयोध्या ढांचा ध्वस्त होने के बाद मैं शृंगेरी के शंकराचार्य से मिलने गया, बाद में वे भी हमारे मठ में आए। ज्योतिष मठ के स्वरूपानंदजी से भी संवाद होता है। हम सभी शंकराचार्य सनातन धर्म और समाज सुधार का काम कर रहे हैं, आपस में दुश्मन थोड़े ही हैं।
मठों पर हो रहे कब्जे
पुरी का मठ कभी 400 एकड़ में था लेकिन अवैध कब्जों के चलते अब सिर्फ चार एकड़ का रह गया है। इसी तरह 100 एकड़ के बाग पर भी कब्जे हो गए हैं। हमें दबाने की शासन तंत्र की यह भी एक साजिश है।
धर्म दंड में आवाज नहीं होती
शंकराचार्यजी ने कहा मोक्षदायिनी गंगा पर अतिक्रमण, गंदगी डालने और उसे नष्ट करने के प्रयास का ही नतीजा है कि उसके प्रकोप से हजारों लोग मारे गए। गंगा ने इस तरह अपना तट भी साफ कर लिया। कुछ दिन पहले ही मैंने गंगा संरक्षण अभियान के तहत सरकार को चेताया था, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। जन-धन के साथ ही 50 से ज्यादा सरकारी प्रोजेक्ट तबाह हो गए। वास्तव में हम जो धर्म दंड धारण करते हैं उसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है। हम दंड का नित्य पूजन करते हैं। यदि कोई धर्माचरण के विरुद्ध काम करता है तो यह दंड सक्रिय हो जाता है लेकिन इसकी मार में आवाज नहीं होती।